युरोलॉजिस्ट मेडिकल साइंस का वह स्पेशलिस्ट है जो निम्न रोगों का इलाज एवं ऑपरेशन करते है।
- किडनी स्टोन यूरेटर स्टोन 3. ब्लाडर स्टोन 4. प्रोस्टेट संबंधित मूत्र रोग 5. किडनी में सूजन आना 6. किडनी ट्यूमर 7. पुरूष जननांग संबंधित रोग के साथ अन्य मूत्र संबंधित रोग।
रोग के लक्षण
साधारणतया किडनी एवं उसके रास्ते (यूरेटर) में पथरी (स्टोन) होने की स्थिति में पेट में दर्द होना प्रमुख लक्षण है। कभी-कभी दर्द तीव्र भी हो सकता है एवं दर्द के साथ उल्टी भी हो सकती है इसलिए पेट में दर्द होने की स्थति में प्रारंभिक इलाज करवाने के बाद अल्ट्रासाउंड किया जाता है। इस जाँच के बाद स्टोन का पता, लगने पर यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करना बेहद जरूरी है।
प्रोस्टेट संबंधित लक्षणः
प्रोस्टेट ग्रंथी पुरूष में मूत्र थैली (यूरिनरी ब्लॉडर) के नीचे रहता है। 50 की उम्र के बाद लगभग 25 प्रतिशत पुरूषों में यह ग्रंथी बढ़ जाती है जिसकी वजह से पेशाब में रूकावट आनी शुरू हो जाती है।
इसके मुख्य लक्षणः
पेशाब रूक रूक कर होना, पेशाब में जलन होना, जल्दी-जल्दी पेशाब लगना, रात में बार-बार पेशाब आना, पेशाब रोकने में असमर्थ होना, अचानक पेशाब बंद हो जाना, बार-बार बुखार आना आदि प्रमुख लक्षण है।
इलाजः
किडनी स्टोन ह्येने पर सामान्यतः मरीज कई तरह के धरेलू इलाज एवं अलग-अलग पद्धति से इलाज कराते हैं और कई बार सही जानकारी के अभाव में किडनी को क्षति पहुंच जाती है। समस्या होने पर तुरंत किसी यूरोलॉजिस्ट से सम्पर्क करें। इस तरह की समस्या को लंबे समय तक नजरअंदाज करना किडनी फेल्योर की स्थिति में आने जैसा है।
परंपरागत तौर पर किडनी स्टोन का ऑपरेशन चिड़ा लगाकर किया जाता था। आजकल के आधुनिक युग में यरोलॉजी के ऑपरेशन दूरबीन विधि या यूं कहें बिना चीरा-टांका के किया जाता है। ऑपरेशन के बाद मरीज 1-2 दिन में स्वस्थ्य होकर अस्पताल से छुट्टी पा जाता है। ऑपरेशन स्टोन के आकार, किडनी के किस हिस्से में स्टोन है यह जानने के बाद अलग-अलग तरह के दूरवीन विधि PCNL, URS, RIRS से किया जाता है।
प्रोस्टेट संबंधित विमारी का इलाज शुरूआती दौर में दवा से किया जाता है। परन्तु कई बार जटिल स्थतियों में ऑपरेशन भी किया जाता है। प्रोस्टेट ऑपरेशन दूरबीन विधि (TURP) से किया जाता है।
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किडनी स्टोन के कारण
किडनी स्टोन हमारी खराब लाइफस्टाइल, बॉडी में पानी की कमी, एक्सरसाईज की कमी, अधिक चाय-कॉफी, ज्यादा तला-भुना, बहुत ज्यादा मीठा, कम पानी पीना और यूरीन आदि को रोकने का नतीजा है। इसके अलावा स्टोन होने का मुख्य कारण बॉडी में अधिक मात्रा में कैल्शियम की मौजूदगी है। जब नमक एवं अन्य मिनरल एक दूसरे के संपर्क में आते है तो स्टोन बनने लगता है, जिसे किडनी स्टोन कहा जाता है। यानी किडनी में पथरी कैल्शियम, ऑक्सलेट और कैल्शियम फॉस्फेट से बनती है। स्टोन की समस्या पेन देने के साथ-साथ और भी बहुत सारी परेशानियों को न्यौता देती है। जिसे खत्म करना बेहद मुश्किल है लेकिन अगर स्टोन छोटे हैं तो उसे यूरीन से बाहर निकाला जा सकता है।
न चीरा न लगेगा कोई टांका
अब बिना चीरा-टांका के दूरबीन रेंज के साथ पथरी को क्रैश करके निकाला जा सकेगा। इससे मरीज को दर्द भी नहीं होगी और न ही ऑपरेशन का डर सताएगा। कई मरीज तो ऑपरेशन के भय से ही इलाज नहीं करवाते हैं। ऐसे मरीज भी अब किडनी स्टोन का बेफिक्र इलाज करवा पाएंगे।
डॉ. संतोष कुमार
एच ओ डी – यूरोलॉजी
MBBS, MS (GENERAL SURGERY), DNB (UROLOGY), FMAS
मेडिवर्सल मल्टी सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल, कंकड़बाग, पटना -20