प्रोस्टेट एक ग्रंथि है जो केवल पुरुषों में ही होती है। यह एक अखरोट के आकार के बराबर होता है और यह मूत्राशय की ग्रीवा के नीचे मूत्राशय के निकास (मूत्रमार्ग) के इर्द-गिर्द मौजूद होता है। प्रोस्टेट एक दूधिया तरल पदार्थ बनाता है, जो वीर्य का एक अंश होता है और शुक्राणुओं के लिए भोजन के रूप में काम करता है। इसी वजह से प्रोस्टेट ग्रंथि पुरुषों के प्रजनन तंत्र का एक मुख्य अंग है।प्रोस्टेट का नॉर्मल साइज 18 से 20 ग्राम होता है।
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प्रोस्टेट सम्बंधित मुख्य रोग है –
प्रोटाटिटिस
बी पी एच
प्रोस्टेटिक कैंसर
प्रोस्टटिटिस
प्रोस्टेट के सूजन को प्रोस्टटिटिस कहा जाता है . प्रोस्टटिटिस की समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन 50 या इससे से कम उम्र में यह समस्या आम है .
प्रोस्टटिटिस की स्तिथि में अकसर पेशाब करने में कठिनाई या तेज़ दर्द होती है . इसके अन्य लक्षणों में कमर दर्द, पेरू में दर्द या जननांगो में दर्द या कभी कभी बुखार भी हो सकता है .
प्रोस्टटिटिस कई अलग अलग करने से हो सकता है. यदि यह किसी जीवाणु संक्रमण की वजह से होता है तो इसका इलाज एंटीबायोटिक्स दवाओं से किया जाता है. परन्तु प्रोस्टटिटिस हर बार संक्रमण के कारण नहीं होता है और कई बार इसका सटीक कारण पता लगाना मुश्किल हो सकता है.
BPH ( BENIGN PROTATIC HYPERPLASIA)
- बिनाईन प्रोस्टेटिक HYPERPASIAअर्थात् उम्र बढ़ने के साथ सामान्य रूप से पाई जानेवाली प्रोस्टेट के आकर में वृध्दि।
- बी. पी. एच. (BPH ) के लक्षण 50 साल की उम्र के बाद शुरू होते हैं। आधे से ज्यादा पुरुषों को 60 साल की आयु में और 90 % पुरुषों में 70 – 80 साल के होने तक बी. पी. एच. के लक्षण दीखते हैं।
- बी. पी. एच. सिर्फ पुरुषों की बीमारी है, जिसमें बड़ी उम्र में पेशाब में तकलीफ होती है।
- भारत और पुरे विश्व में औसत आयु में हुई वृध्दि के कारण बी. पी. एच. की तकलीफवाले मरीजों की संख्या में भी वृध्दि हुई है।
बी. पी. एच. के लक्षण :
बी. पी. एच. के कारण पुरुषों में होनेवाली मुख्य तकलीफ निम्नलिखित है:
- रात को बार-बार पेशाब करने जाना।
- पेशाब की धार धीमी और पतली हो जाना।
- पेशाब करने के प्रारंभ में थोड़ी देर लगना।
- रुक रुककर पेशाब का होना।
- पेशाब लगने पर जल्दी जाने की तीव्र इच्छा होना किन्तु, उस पर नियंत्रण नहीं होना और कभी-कभी कपड़ों में पेशाब हो जाना।
- पेशाब करने के बाद भी बूँद-बूँद पेशाब का आना।
- पेशाब पूरी तरह से नहीं होना और पूरा पेशाब करने का संतोष नहीं होना।
- गंभीर बी. पी. एच. अगर अनुपचारित छोड़ दिया जाये तो एक समय के बाद यह गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है।
बी. पी. एच. के कारण होनेवाली गंभीर समस्यायें:
- पेशाब का एकाएक रुक जाना और केथेटर की मदद से ही पेशाब होना।
- पेशाब पूर्ण रूप से नहीं होने के कारण मूत्राशय कभी भी संपूर्ण खाली नहीं होती है। इस कारण से पेशाब में बार-बार संक्रमण हो सकता है और संक्रमण पर नियंत्रण करने में चिकित्सक को कठिनाई होती है।
- मूत्रमार्ग में अवरोध बढ़ने पर मूत्राशय में काफी मात्रा में पेशाब इकट्ठा हो जाता है। इसी वजह से किडनी में से मूत्राशय में पेशाब आने के रस्ते में अवरोध उत्पन्न हो जाता है। परिणामस्वरूप मूत्रवाहिनी और किडनी फूल जाती है। अगर यह तकलीफ धीरे-धीरे बढ़ती रही तब कुछ समय पश्चात् किडनी फेल्योर जैसी गंभीर समस्या भी हो सकती है।
- बी. पी. एच. में पेशाब की धार धीमी हो जाती है और रात में बार-बार पेशाब करने जाना पड़ता है।
- मूत्राशय में हमेंशा पेशाब इकट्ठा होने से पथरी होने की संभावना भी रहती है।
- याद रहे! बी. पी. एच. के कारण प्रोस्टेट कैंसर का खतरा नहीं हो सकता है।
बी. पी. एच. का निदान :
मरीज द्वारा बताई गई तकलीफों में बी. पी. एच. के लक्षण हों, तो प्रोस्टेट की जाँच UROLOGIST से करवा लेना चाहिए।
- प्रोस्टेट की उंगली द्वारा जाँच:
यूरोलोजिस्ट मलमार्ग में उंगली डालकर प्रोस्टेट की जाँच करते हैं (Digital Rectal Exmaination)। बी. पी. एच. में प्रोस्टेट का आकर बढ़ जाता है और उंगली से की जानेवाली जाँच में प्रोस्टेट चिकना एवं रबर जैसा लचीला लगता है।
- सोनोग्राफी द्वारा जाँच:
बी. पी. एच. के निदान में यह जाँच बहुत उपयोगी है। बी. पी. एच. के बड़ी उम्र के पुरुषों में पेशाब अटक जाने का मुख्य कारण बी. पी. एच. है।
कारण प्रोस्टेट के आकार में बढ़ोतरी होना, पेशाब करने के बाद मूत्राशय में पेशाब रह जाना, मूत्राशय में पथरी होना अथवा मूत्रवाहिनी और किडनी का फूल जाना जैसे परिवर्तनों की जानकारी सोनोग्राफी से ही मिलती है।
- लेबोरेटरी की जाँच:
इस जाँच के माध्यम से बी. पी. एच.. में होनेवाली तकलीफों के निदान में इससे मदद मिलती है। पेशाब की जाँच, पेशाब में संक्रमण के निदान के लिए और खून में क्रीएटिनिन की जाँच, किडनी की कार्यक्षमता के विषय में जानकारी देती हैं। प्रोस्टेट की तकलीफ कहीं प्रोस्टेट के कैंसर के कारण तो नहीं है यह खून की एक विशेष जाँच पी. एस. ए. (PSA – Prostate Specific Antigen) द्वारा निश्चित किया जाता है।
- अन्य जाँच :
बी. पी. एच. जैसे लक्षणवाले प्रत्येक मरीज को बी. पी. एच. की तकलीफ नहीं होती है। मरीज के इस रोग के पूर्ण निदान के लिए कई बार यूरोफ्लोमेट्री (Uroflowmetry) सिस्ट्रोस्कोपि और यूरेथ्रोग्राम जैसी विशिष्ट जाँच की जाती है.
बी. पी. एच. का उपचार
बी. पी. एच. का उपचार निम्नलिखित कारणों से प्रभावित होते है:
- लक्षणों की गंभीरता
- किस हद तक ये लक्षण दैनिक जीवन को प्रभावित करते हैं
- उससे जुडी किस प्रकार की चिकित्सा उपलब्ध है।
बी. पी. एच. के निदान का मुख्य उद्देश्य है की इसके लक्षण को कम करें, जीवन स्तर की गुणवत्ता में सुधार लायें, पोस्ट वॉइड पेशाब की मात्रा को कम करें और बी. पी. एच. की जटिलताओं को रोकें।
बी. पी. एच. के उपचार को मुख्यतः तीन भागों में बाँटा जा सकता है।
- चौकस होना और जीवन शैली में परिवर्तन (कोई इलाज नहीं)
- मेडिकल चिकित्सा उपचार
- शल्य चिकित्सा उपचार
- दवा द्वारा उपचार :
- जब बी. पी. एच. के कारण पेशाब में तकलीफ ज्यादा न हो और कोई गंभीर समस्या न हो, ऐसे अधिकांश मरीजों का उपचार दवा द्वारा आसानी से एवं असरकारक रूप से किया जाता है।
- इस प्रकार की दवाओं में आल्फा ब्लॉकर्स और फिनास्टेराइड तथा ड्यूरेस्टेराइड इत्यादि दवाइँ होती हैं।
- दवा के उपचार में मूत्रमार्ग का अवरोध कम होने लगता है और पेशाब सरलता से बिना किसी तकलीफ के होती है।
जिन मरीजों में उचित दवा के बावजूद भी संतोषजनक फायदा नहीं होता है, उनको विशिष्ट उपचार की जरूरत पड़ती है।
नीचे बताई गई तकलीफों में दूरबीन, ऑपरेशन या अन्य विशिष्ट पध्दति के उपचार जरूरत पडती है।
- पेशाब में बार-बार संक्रमण होना या पेशाब में खून आना।
- पेशाब करने के बाद भी मूत्राशय में पेशाब का ज्यादा मात्रा में रह जाना।
- मूत्राशय में ज्यादा मात्रा में पेशाब इकट्ठा होने के कारण किडनी और मूत्रवाहिनी का फूल जाना।
- पेशाब इकट्ठा होने के कारण पथरी होना।
शल्य चिकित्सा
- दूरबीन द्वारा उपचार – टी. यू. आर. पी.
बी. पी. एच. के उपचार के लिए यह सरल, असरकारक और सबसे ज्यादा प्रचलित पध्दति है। वर्तमान समय में दवा के उपचार से विशेष लाभ न होने वाले अधिकांश (95 प्रतिशत से ज्यादा) बी. पी. एच. के मरीजों के प्रोस्टेट की गाँठ इस पध्दति द्वारा दूर की जाती है।
- उपचार की अन्य पध्दतियाँ :
बी. पी. एच. के उपचार में कम प्रचलित अन्य पध्दतियाँ निम्नलिखित हैं।
- दूरबीन की मदद से प्रोस्टेट पर चीरा लगाकर मूत्रमार्ग की रुकावट कम करना
- लेजर द्वारा उपचार
- ऊष्मा द्वारा उपचार
- मूत्रमार्ग में विशेष नली द्वारा उपचार
बी. पी. एच. के मरीज को डॉक्टर से संपर्क कब स्थापित करना चाहिए?
बी. पी. एच. के मरीज को डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए यदि
- पेशाब करने में अवरोध या पेशाब पूरी तरह बंद हो जाये।
- पेशाब में रक्त का जाना।
- पेशाब करते समय जलन या दर्द महसूस करना, बदबूदार पेशाब होना या ठंड के साथ बुखार आना।
- पेशाब पर नियंत्रण न कर पाना जिसके फलस्वरूप नीचे पहनने के कपड़ों का गिला होना या बिस्तर में पेशाब हो जाना।
- टी. यू. आर. पी. ऑपरेशन बेहोश किए बिना दूरबीन से किया जाता है और अस्पताल में कुछ दिन ही रहना पड़त
Prostatic Cancer
प्रोस्टेट कैंसर एक गंभीर बीमारी है जो हर साल हजारों पुरुषों को प्रभावित करती ह। लगभग 60 प्रतिशत मामले 65 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों में होते हैं। जब प्रोस्टेट में कोशिकाओं की असामान्य, घातक वृद्धि से ट्यूमर बन जाता है, इसे प्रोस्टेट कैंसर कहा जाता है। ये कैंसर शरीर के अन्य क्षेत्रों में फैल जब फैलना शुरुर करता है तब भी इसे प्रोस्टेट कैंसर ही कहा जाता है क्योंकि कैंसर प्रोस्टेट के कोशिकाओं से बना है। प्रोस्टेट ग्रंथि में कैंसर होता है, तो इसका विकास धीमी और सिमित हो सकता है, जिसे चिकित्सा सहायता की जरुरत नहीं होती या फिर यह गंभीर रूप से बढ़ सकता है और नजदीकी अंगों तक फैल सकता है।
स्क्रीनिंग के माध्यम से हम वास्तविक शारीरिक लक्षणों के प्रकट होने से पहले हम इसका पता लगा सकते हैं।प्रोस्टेट कैंसर स्क्रीनिंग में 2 प्रमुख प्रक्रियाएँ शामिल हैं:
- प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजन टेस्ट(PSA) – ब्लड टेस्ट
- डिजिटल रेक्टल एग्जाम (DRE) हाथ से
डॉ. संतोष कुमार
एच ओ डी – यूरोलॉजी
MBBS, MS (GENERAL SURGERY), DNB (UROLOGY), FMAS
मेडिवर्सल मल्टी सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल, कंकड़बाग, पटना -20